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13 Sep 2024 · 1 min read

नज़्म

मेरी जो बात उस पर बड़ी नागवार गुज़री होगी,
उसकी रुह से जब मुहब्बत की छाल उजरी होगी
संभलने का मज़ा किसी मोड़ पर आएगा ज़रूर,
सफ़र करती ज़िंदगी बड़ी रवानियों में उबरी होगी

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

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