खेती कर आतंक का, खोज रहे हैं चैन।

खेती कर आतंक का, खोज रहे हैं चैन।
भेद रहित संसार रे ,देखें अपने नैन।।
जो बोये सो काट कर, रखें सभी निज गेह।
दुख देकर कब सुख मिले, कहते हरदम मेह।।
संजय निराला
#पाक
खेती कर आतंक का, खोज रहे हैं चैन।
भेद रहित संसार रे ,देखें अपने नैन।।
जो बोये सो काट कर, रखें सभी निज गेह।
दुख देकर कब सुख मिले, कहते हरदम मेह।।
संजय निराला
#पाक