बीत गया जो लौट कर, कब आये है बोल।

बीत गया जो लौट कर, कब आये है बोल।
पल-पल का उपयोग कर, मनुज समय अनमोल।।
दोष विषमता बढ़ रही, हर उर में उन्माद।
मानवता को मार कर,नीच करें है नाद।।
जगत बुराई छोड़ दो,मत हो डावा डोल।
छुपे हुए अध्यात्म में,जीवन का भूगोल।।
कर्मठता के साथ ही, ज्ञान चक्षु को खोल।
पल-पल का उपयोग कर, मनुज समय अनमोल।।
संजय निराला