जब मुश्किलें राह में आई थीं,

जब मुश्किलें राह में आई थीं,
जब चुनौतियाँ सर पर छाईं थीं,
तब एक नहीं, ग्यारह खड़े थे,
भारत के रणबांकुरे अड़े थे।
शुभमन की बैटिंग चमकी थी,
रोहित की आँधी दमकी थी,
कोहली के विकेट से थोड़ा डरा।।
अय्यर का जज्बा जोश भरा,
अक्षर-राहुल ने हुंकार भरी,
वरुण-कुलदीप ने चाल चली,
जडेजा-शमी की धार चली,
जब गेंद हवा में लहर चली।
हर एक ने संग कदम बढ़ाया,
हर मुश्किल को पार कराया,
फिर सुनाई वो गर्वीली हुँकार,
“भारत बना चैंपियन इस बार!”
ये जीत नहीं, ये गर्व गाथा है।
सपनों को सच करने वाली संघर्ष भाषा है।।
आओ स्वागत करें हम इन वीरों का।
भारत के गौरव चैंपियंस हीरों का।।
रचनाकार:
~अभिलेश श्रीभारती~