बेटियाॅं

बेटे की चाहत के खातिर,
बेटी को क्यों मार रहे।
करते कृत्य क्रूर्ता वाला,
पाप शीश पर धार रहे।।
सृष्टि सृजन बिन युगल अधूरा,
इसको भी तो जानो तुम।
बेटा बेटी में ना कोई अंतर,
इसको भी पहचानो तुम।।
एक बार देकर तो देखो,
सारी सुविधा बेटी को।
सारे वाहन चला रही है,
कसे सुरक्षा पेटी को।।
शिक्षा खेल रेल सुरक्षा,
कहाॅं बेटियां पीछे हैं।
हम ही तो बढ़ने न देते,
हमने ही बंधन खींचे हैं।।
~राजकुमार पाल(राज)