वो रमजान का चांद

अब वो जमाना कहां चला गया
जब रमजान और ईद के चांद का हम बच्चों को बड़ा इंतजार रहता था””
दिन छिपने से पहले ही””
वो कच्ची छतों पर चढ़ना..आसमान की तरफ निगाहें लगाके रहना”
वो चांद दिखते ही वो शोर करना..
जैसे”””
ईद का चांद दिख गया
दूध में छुहारा भीग गया””
वह चांद दिखते ही इस बात के डर से कहीं गायब न हो जाए और
अपने दूसरे बच्चों को भी बुला कर लाना””आखिर वह दिन कहां चले गए””
वह दादी नानी अम्मी को बार-बार यह कहते कहते””””सो जाना की सरगई में मुझे भी उठा दियो”””मैं भी रोजा रखूंगा””
बस मकसद था वह रात की सीमी खाना””वो दिन कहां चले गए जब रमजान से पहले ही हमारी घर की बड़ी औरतें का सीमी तोड़ने का सिलसिला जारी था””जब घर के बड़े भी सीमी में दूध डालकर बड़े चाव से खाते थे
और हम बच्चे तो पुरे दिन खातें ही थे””
वो लालटेन मोमबत्ती या दिब्या की चांदने में हमारे घर दादी नानी ताई अम्मी””जिन्होंने अपना आधा जीवन तो उस मोमबत्ती और ढिब्या के चांदनी में ही गुज़ार दिया”””लेकिन अब वह दिन कहां चले गए “””अबके बच्चों के अंदर तो कुछ चांद देखने का जुनून खत्म ही हो गया””🥹वह भी क्या दिन थे यार””जब रमजान के आते ही हम अपने सपनों ख्वाबों में ईद के दिन खिलौने लेने और अच्छे कपड़े पहनने की बातें सोचा करते थे”””एक महीना पहले ही हमें ईद का पूरा-पूरा हमाया लग जाया करता था””हम देखा करते थे की ईद आए और फिर अपने बग्गी झोटा ट्रैक्टर ट्रॉली में बैठकर हम ईद करने जाएं””लेकिन वह दिन हमसे ऐसे हवा की तरह चले गए कि हमारे पास आए ही नहीं थे””और कितनी खुशनसीब है हमारी मां दादी नानी जिन्होंने वह दौर देखा है कितने खुश नसीब है हमारी मासूमियत कि वह छोटी-छोटी आंखें जिन्होंने वह चांद देखा है”””🥹❤️🩹
समाप्त 🎄
Aapka Apna 🍁
Writer Ch Bilal ✍️