चाँद भी शरमाये …

चाँद भी शरमाये …
आप मंज़िल हैं हमारी आप हमारा ख़्वाब हैं।
उम्र भर उतरे नशा न आप ऐसी शराब हैं।
आसमां को नाज़ होगा चाँद पर अपने मगर –
चाँद भी शरमाये जिससे आप वो शबाब हैं।
सुशील सरना
चाँद भी शरमाये …
आप मंज़िल हैं हमारी आप हमारा ख़्वाब हैं।
उम्र भर उतरे नशा न आप ऐसी शराब हैं।
आसमां को नाज़ होगा चाँद पर अपने मगर –
चाँद भी शरमाये जिससे आप वो शबाब हैं।
सुशील सरना