Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jul 2024 · 3 min read

विकास की बाट जोहता एक सरोवर।

द्रोण सागर तीर्थ : काशीपुर,
विकास की बाट जोहता एक सरोवर।
—————————————
विगत 13 जून को ससुराल पक्ष के अपने एक संबंधी के दसवें में द्रोण सागर तीर्थ काशीपुर जाना हुआ।
इससे पूर्व भी अनेकों बार द्रोण सागर जाना हुआ था, लेकिन इस बार लगभग तीन वर्ष बाद जाना हुआ था।
इस बार वहॉं जाने पर मन बहुत खिन्न हुआ। कारण समस्त तीर्थ क्षेत्र में सफाई का अभाव था। सरोवर में पानी बिल्कुल नहीं था, बल्कि बाकायदा खेती हो रही थी। यद्यपि तीर्थ क्षेत्र में पिछले वर्षों में तमाम विकास कार्य हुए थे किंतु रखरखाव व सफाई के अभाव में व्यर्थ थे।
द्रोण सागर तीर्थ से मेरा लगभग पचास वर्ष पुराना लगाव है। वर्ष 1973 में मेरी प्रथम नियुक्ति स्टेट बैंक की काशीपुर शाखा में ही हुई थी और मैं लगभग पॉंच वर्ष काशीपुर रहा था। उस समय मैं प्रतिदिन प्रातः टहलते हुए द्रोण सागर जाता था। वहॉं दौड़ते हुए सरोवर के 1 – 2 चक्कर लगाता था, फिर आकर व्यायामशाला में थोड़ा बहुत व्यायाम करता था। वहीं भूमिगत जल का स्रोत निरंतर पानी देता रहता था, जिस पर हाथ मुंह धोकर, जल पीता था। वह जल अत्यंत शीतल और मृदु होता था। लगभग 8 बजे तक मैं वापस कमरे पर आ जाता था।
उस वक्त संपूर्ण तीर्थ क्षेत्र अत्यंत मनोरम था, सरोवर में काफी पानी रहता था और कमल के पुष्पों व चौड़े चौड़े पत्रों से आच्छादित रहता था। किनारे पर एक ओर महिला व पुरुषों हेतु अलग अलग स्नान घाट बने थे। ताल के चारों और टहलने के लिये काफी चौड़ा रास्ता था, जिस पर बेंचें भी लगी थीं व एक ओर बड़े बड़े पेड़ थे। ताल के दूसरी ओर एक छोटी पहाड़ी पर ऊपर द्रोणाचार्य की मूर्ति थी, जो अब भी है तथा उसका सौंदर्यीकरण भी हुआ है। कहा जाता है कि द्वापर में इसी स्थान पर द्रोणाचार्य ने कौरवों व पांडवों को शस्त्र संचालन विद्या सिखाई थी, तथा गुरु दक्षिणा स्वरूप पांडवों ने यह सरोवर बनाकर उन्हें दिया था।
बाद में संयोगवश मेरा विवाह भी काशीपुर के प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार की सुपुत्री से हुआ। जिस कारण काशीपुर से मेरा स्थाई नाता जुड़ गया। इस कारण जब भी कभी काशीपुर जाना होता था, द्रोण सागर का चक्कर भी अवश्य लगता था।
कालांतर में समय समय पर द्रोण सागर के जीर्णोद्धार हेतु तमाम विकास कार्य हुए हैं, मंदिर का अच्छा विकास किया गया है व प्रवचन हेतु एक दोमंजिला बड़ा हाल बनाया गया है, किंतु सरोवर का मुख्य आकर्षण, जल धीरे धीरे सूख गया है। वर्तमान में सरोवर में जल दिखाई नहीं देता । यद्यपि वर्तमान सरकार ने सरोवर में विकास हेतु काफी प्रयास किये हैं किंतु रखरखाव व सफाई के अभाव में वह प्रयास निरर्थक प्रतीत होते हैं।
द्रोण सागर पर ही काशीपुर के विद्वान पुरोहित पंडित अरुण त्रिवेदी, श्रमिक नेता व समाजसेवी वेद प्रकाश विद्यार्थी आदि से भी इस संदर्भ में चर्चा हुई।
सुनने में यह भी आया कि इस तीर्थ क्षेत्र को पुनः विकसित करने की योजना चल रही है, जिसके अनुसार सरोवर में पर्याप्त पानी रखना सुनिश्चित किया जाएगा, तथा सरोवर में नौका विहार की योजना भी प्रस्तावित है। ताल में एक ओर किनारे से मध्य तक एक प्लेटफार्म बनाया गया है, जिस पर चलते हुए ताल में मध्य तक जाकर पानी व प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है, लेकिन वर्तमान में उसका होना भी निरर्थक दिखाई दे रहा है।
ऐसी प्राचीन धरोहर का अपने संपूर्ण वैभव के साथ पुनर्जीवित होना अत्यंत आवश्यक है। देखने वाली बात यह है कि सरकारी विकास कार्य केवल आश्वासन तक सीमित रहते हैं या वास्तव में ईमानदारी से इस सरोवर को पुनर्जीवित करके इसके चारों ओर हरित पट्टी बनाकर इसका सौंदर्यीकरण किया जाता है।
काशीपुर के इस पौराणिक सरोवर के पुनरुद्धार की स्वयं मुझे भी उत्सुकता से प्रतीक्षा रहेगी।

श्रीकृष्ण शुक्ल,
मुरादाबाद।

61 Views

You may also like these posts

आबाद हो गया गांव
आबाद हो गया गांव
Sudhir srivastava
बस जला दिया जाता है मोहब्बत में दिल को भी,
बस जला दिया जाता है मोहब्बत में दिल को भी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
राखी का बंधन
राखी का बंधन
अरशद रसूल बदायूंनी
स्वीकार्य
स्वीकार्य
दीपक झा रुद्रा
जिन्दगी तेरे लिये
जिन्दगी तेरे लिये
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
जितना आपके पास उपस्थित हैं
जितना आपके पास उपस्थित हैं
Aarti sirsat
प्रेम एक्सप्रेस
प्रेम एक्सप्रेस
Rahul Singh
कितने  हैं , हम  आईना  जैसे,
कितने हैं , हम आईना जैसे,
Dr fauzia Naseem shad
"I having the Consistency as
Nikita Gupta
जय जय शंकर जय त्रिपुरारी
जय जय शंकर जय त्रिपुरारी
Uttirna Dhar
मोहब्बत
मोहब्बत
अखिलेश 'अखिल'
तन्हाई को जीते जीते
तन्हाई को जीते जीते
हिमांशु Kulshrestha
तुम घर से मत निकलना - दीपक नीलपदम्
तुम घर से मत निकलना - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
भद्रकाली
भद्रकाली
Dr. Kishan tandon kranti
दिनकर/सूर्य
दिनकर/सूर्य
Vedha Singh
तुझसे नहीं तेरी यादों से याराना है, चेहरे से ज्यादा तेरी बातों को पहचाना है।
तुझसे नहीं तेरी यादों से याराना है, चेहरे से ज्यादा तेरी बातों को पहचाना है।
Vivek saswat Shukla
■हरियाणा■
■हरियाणा■
*प्रणय*
निस दिवस मां नाम रटूं, धर हिवड़े में ध्यांन।
निस दिवस मां नाम रटूं, धर हिवड़े में ध्यांन।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
गृहस्थ आश्रम
गृहस्थ आश्रम
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
प्रेम
प्रेम
Shyam Sundar Subramanian
नेताओं के पास कब ,
नेताओं के पास कब ,
sushil sarna
बड़े बुजुर्गो की सेवा करने से जो शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता ह
बड़े बुजुर्गो की सेवा करने से जो शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता ह
Shashi kala vyas
2962.*पूर्णिका*
2962.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Remeber if someone truly value you  they will always carve o
Remeber if someone truly value you they will always carve o
पूर्वार्थ
आज की पीढ़ी
आज की पीढ़ी
अवध किशोर 'अवधू'
*प्यार या एहसान*
*प्यार या एहसान*
Harminder Kaur
वजह बन
वजह बन
Mahetaru madhukar
सिस्टमी चाल में चलना सीखो (एक व्यंग्य रचना))
सिस्टमी चाल में चलना सीखो (एक व्यंग्य रचना))
manorath maharaj
जय श्रीराम !
जय श्रीराम !
Mahesh Jain 'Jyoti'
Loading...