ये जो हम सब. दबाये रहते हैं कुछ मन के किसी कोने में एक वक्त

ये जो हम सब. दबाये रहते हैं कुछ मन के किसी कोने में एक वक्त बीतने पर शोर बहुत मचाता है अन्दर ही अन्दर ॥
ये जो हम सब. दबाये रहते हैं कुछ मन के किसी कोने में एक वक्त बीतने पर शोर बहुत मचाता है अन्दर ही अन्दर ॥