"मेरा निस्वार्थ निश्चछल प्रेम"
आवाज़ दो, पुकारों ज़ोर से हमको।
सरस्वती वंदना -रचनाकार :अरविंद भारद्वाज, रेवाड़ी हरियाणा
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परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
प्रेम मोहब्बत इश्क के नाते जग में देखा है बहुतेरे,
Anamika Tiwari 'annpurna '
*संगीतमय रामकथा: आचार्य श्री राजेंद्र मिश्र, चित्रकूट वालों
हम समझते थे खैर ख़्वाह जिसको
होली का रंग चढ़े यूं सब पर,
ये ईश्वर की दया-दृष्टि ही तो है
मुझे इंतजार है , इंतजार खत्म होने का