*मुंडी लिपि (राधेश्यामी छंद)*

मुंडी लिपि (राधेश्यामी छंद)
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1)
मुंडी लिपि भारत की लिपि है, यह लिखी देश में जाती है।
हिंदी में लिखने वाली यह, व्यापारिक लिपि कहलाती है।।
2)
मुंडी में सदियों से जन-जन, लिखते हैं रोज बहीखाते।
सब लेन-देन के कार्य सदा, इसमें प्रयोग में हैं लाते।।
3)
धाराप्रवाह यह चलती है, लिखने में समय बचाती है।
मात्राऍं कम ही लगती हैं, पर बात बहुत कर जाती है।।
4)
सदियों से मुंडी का डंका, व्यापार-जगत में बजता है।
हर एक बहीखाता केवल, मुंडी लिपि में ही सजता है।।
5)
यह गोपनीय-उपयोगी है, इस ने सब काम चलाए हैं।
इसमें जो लिखा समझ उसको, इसके ज्ञाता ही पाए हैं।।
6)
मुंडी में लिखा बहीखाता, मुंडी-मर्मज्ञ बताते हैं।
संदर्भ समझकर मुंडी के, ज्ञाता अनुमान लगाते हैं।।
7)
मुंडी लिपि पुरखों की लिपि है, इसका इतिहास पुराना है।
इसमें जो लिखा हुआ है वह, लगता जाना-पहचाना है।।
8)
वह धन्य जिन्होंने गढ़ी एक, लिपि हिंदी भाषा लिखने की।
वह धन्य जिन्होंने हिंदी को, दी नई लिखावट दिखने की।।
9)
प्राचीन धरोहर है मुंडी, वह धन्य इसे जो गाते हैं।
जो इसे जानते-सिखलाते, उनको हम शीश झुकाते हैं।
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