आंखे

आंखे हिरणी सम लगें , मंद मंद मुस्कान |
सुंदरता की शान में, हो गजलों का गान |
हो गजलों का गान, रैंप पर हो इतराती |
महफिल भरती आह,मित्र जबतुमइठलाती |
कहें प्रेम कवि राय,अधखुलीप्यारीपांखे |
हर पल मेरे नयन ,निहारें न्यारी आंखे |
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम