मेरा एक ख्वाब था जो अब हुआ धूमिल

मेरा एक ख्वाब था जो अब हुआ धूमिल
खोकर दिल अपना ना हुआ कुछ हासिल
तू रूप की रानी थी मैं शहजादा ऐ इश्क
डूबे दोनो ही दरिया में तुझे मिला साहिल
अपनी किस्मत में मुफलिसी है जाने हया
तू सितारों में सजे मैं नहीं तुम्हारे काबिल
याद आती तो नहीं मेरी सच- सच कहना
रोकर भिगोंती तो नहीं गजलों की फाइल
तस्वीर नहीं तेरी जिसे वॉलपेपर में लगाऊँ
वीरान दिल भी है औ खाली सा मोबाइल