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23 Feb 2025 · 1 min read

“राम की भूमि “

डॉ लक्ष्मण झा परिमल

==================

अनगिनत बातें मेरे

मानोमस्तिक में मौजूद हैं

किस – किस को सुनाऊँ मैं

बातों की परत को भला

खोलूँ तो किसके सामने ?

हैं कहाँ वक्त लोगों को

इस जमाने में

जो भूलके दो घड़ी

बैठ भी जाएँ

सुनें किसी के फ़साने को !

खुशी हो या हो

गम की बारिश

उन्हें शरीक होना भी

गवारा नहीं है !

गिरे जो दुख की अश्रुधारा

कहाँ कोई उसको पोछता है

चुभे जो पग में काँटे तो

कहाँ कोई उपचार करता है !

भले हो कान सारे बंद

सभी के मुँह में ताले हों

ना देखे दुख किसी का भी

उसे मैं क्या कहूँगा ?

मैं चुप कैसे रहूँगा

एक नहीं सौ बार कहूँगा !

नारी सशक्तिकरण ,

सम्मान ,

आबरू का

मंत्र आखिर कहाँ गया ?

हमारा राज्य जल रहा है

झुलस रहा है

और हम सब

आस्था के दीपक

जला रहे हैं ?

राम के भूमि को

रावण के हवाले कर रहे हैं !!

====================

डॉ लक्ष्मण झा परिमल

साउंड हैल्थ क्लीनिक

एस 0पी 0 कॉलेज रोड

दुमका ,झारखंड

भारत

23.02.2025

Language: Hindi
61 Views
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