शीर्षक – अकेले….

शीर्षक – अकेले….
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अकेले ही तो जीवन है।
संग साथ तो धोखा है
कुछ लम्हे और हम हैं
सच यूं ही सब अकेले हैं।
सोच और समझ रहतीं हैं।
हकीकत हमसफ़र अकेले हैं।
आज के पल वो बीते पल है।
अकेले ही सब कुछ पल है।
सच, समझ अकेले सब हैं।
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नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र