उम्मीदों के धागों से

उम्मीदों के धागों से
हर ज़ख़्म को सियो
कल की फिक्र को छोड़ के
बस आज को जियो
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद
उम्मीदों के धागों से
हर ज़ख़्म को सियो
कल की फिक्र को छोड़ के
बस आज को जियो
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद