*आया फागुन छा गई, सरसों चारों ओर (कुंडलिया)*

आया फागुन छा गई, सरसों चारों ओर (कुंडलिया)
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आया फागुन छा गई, सरसों चारों ओर
खेतों में बिखरी हुई, प्रिय वासंती भोर
प्रिय वासंती भोर, वस्त्र पीले भू पहने
चमक रहा यों गात, स्वर्ण के मानों गहने
कहते रवि कविराय, स्वर्ग-सा भ्रम है पाया
वाह-वाह ऋतुराज, तुम्हारा मौसम आया
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज) रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451