माता पिता

माता वेदों की ऋचा , ममता का ही रूप।
माँ की ममता के बिना ,जग मरुथल की धूप ।
जग मरुथल की धूप , अगर इससे है बचना
तो निशि-वासर आप , मातु की करें अर्चना |
कहें प्रेम कविराय, मन जिन्हें हरदम ध्याता |
प्रेम चंद्र हैं पिता , सुनैना देवी माता |
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम