#आज…

#आज…
■ एक और पड़ाव।
[प्रणय प्रभात]
आज जीवन यात्रा का एक और पड़ाव है। दृष्टि के समक्ष मील का एक और पत्थर। मूक हो कर भी बता रहा है कुछ। संकेत दे रहा है कि 57 मील की यात्रा हो चुकी है। अब 58 वें मील की ओर अग्रसर रहना है। यह एक अलग यात्रा है। आम यात्रा से सर्वथा उलट। इसमें आप शून्य की ओर नहीं बढ़ते अपितु शून्य आपके साथ चलता है। कुल मिला कर जन्मदिन एक संकेतक है। बहुत से संकेत देता है सब को। आज मुझे दे रहा है। संकल्प बिना थके, बिना रुके आगे बढ़ने का है। तब तक, जब तक प्रभु जी चाहें। जय राम जी की।।
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