प्यारी कविते सुन,मधुर व्यथा।

प्यारी कविते सुन,मधुर व्यथा।
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प्यारी कविते सुन,मधुर व्यथा।
जल-जल के आ, झर-झर के आ।
तूलिका से झर, दीपक सा जल
हर तिमिर कोण तक ज्ञान असल
समझा के आ,बतला के आ।
प्यारी कविते सुन मधुर व्यथा।
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हर हिय में बस हर होठ थिरक,
निज सप्तस्वर से जगा अलख।
प्रत्येक कंठ में ज्ञान सुभग,
पहचान बना तू सदा अलग।
हर छंदो में तू आ बस जा।
प्यारी कविते सुन मधुर व्यथा।
चल आ-आ चल,चल गा-गा चल।
अंत: उद्गार दिखा आ चल ।
तज शर्म हया दिखला सच जो,
सब खोल हृदय ,बतला आ चल।
तू निशा चंद्र सूरज दिन का ,
प्यारी कविते सुन मधुर व्यथा।
अब है हृदय ये हाथ तेरे,
अब है हृदय ये साथ तेरे।
जीवन भर गाऊं तुझे सदा।
कविता कविता कविता कविता ।
तुम सजो धजो मुझसे कविता।
प्यारी कविते सुन मधुर व्यथा।
-“प्यासा”