अशोक वाटिका खोजे हनुमान
विशाल सागर तट पर खोजे, वानर भालू दल।
नजर संपाति गिद्धराज, निकाले सीता का हल।।
अशोक वाटिका में सीता माता, है समंदर पार।
अब उड़ चले हनुमन्त, मन में धर राम अपार।।
घर विभीषण ढूंढा, राम नाम उच्चारित जहाँ।
अशोक वाटिका पहुँचे, माता सीता मिली वहाँ।।
राम मुद्रिका देख माता, हनुमान किया विश्वास।
कब आएंगे प्रभु राम, चूड़ामणि देना उन्हें खास।।
लंका में कुछ उपद्रव कर, अब वाटिका उजाड़ी।
अक्षय कुमार से युध्द कर, उसकी भुजा उखाड़ी।।
रावण ने बन्दी किया तो, लंका दहन कर डाला।
राम काज कर ही लोटे, संशय राम का हर डाला।।
(जय जय राम जय श्री राम)
(लेखक-डॉ शिव लहरी)