Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jan 2025 · 1 min read

निर्वंश का दाग

दिल से अब निकल रही है आह
केवल संतान की मन में है चाह
दवा दारू भी न जब आया काम
तब पत्नी संग घुम आया चारों धाम
देखा जब से पत्नी के पाॅंव हैं भारी
दुनिया तबसे लगने लगी है न्यारी
नहीं ढ़लेगी अब जीवन की साॅंझ
पत्नी नहीं अब कहलाएगी बाॅंझ
अब सब कुछ लगने लगेगी प्यारी
जब मेरे ऑंगन में गूंजेगी किलकारी
पाकर आशीर्वाद का फल संतान
खुशी से भूल जाऊॅंगा सकल जहान
बच्चा धीरे-धीरे अपना बड़ा होगा
तब उम्मीद का सपना खड़ा होगा
दुर्भाग्य का काला बादल छंट जाएगा
और निर्वंश का दाग भी हट जाएगा

Language: Hindi
38 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Paras Nath Jha
View all

You may also like these posts

यहां  ला  के हम भी , मिलाए गए हैं ,
यहां ला के हम भी , मिलाए गए हैं ,
Neelofar Khan
चंचल मन
चंचल मन
उमेश बैरवा
!! निरेखा !!
!! निरेखा !!
जय लगन कुमार हैप्पी
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
Otteri Selvakumar
शोर शराबे
शोर शराबे
manjula chauhan
रंग भरी होली आई।
रंग भरी होली आई।
shashisingh7232
मोहब्बत हीं तो आँखों को वीरानगी के नज़ारे दिखाती है,
मोहब्बत हीं तो आँखों को वीरानगी के नज़ारे दिखाती है,
Manisha Manjari
18. Before You Sleep
18. Before You Sleep
Santosh Khanna (world record holder)
जज्बात
जज्बात
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
खुली किताब
खुली किताब
Shyam Sundar Subramanian
"दास्तान"
Dr. Kishan tandon kranti
क्यों अब हम नए बन जाए?
क्यों अब हम नए बन जाए?
डॉ० रोहित कौशिक
मर्जी से अपनी हम कहाँ सफर करते है
मर्जी से अपनी हम कहाँ सफर करते है
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
*आओ सब जन पार्क में, करो नित्य ही योग (कुंडलिया)*
*आओ सब जन पार्क में, करो नित्य ही योग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ज़ेहन हमारा तो आज भी लहूलुहान है
ज़ेहन हमारा तो आज भी लहूलुहान है
Atul "Krishn"
काव्यपाठ
काव्यपाठ
विशाल शुक्ल
विरोध
विरोध
Dr.Pratibha Prakash
अंजुरी भर....
अंजुरी भर....
Shally Vij
फरवरी का महीना अजीब है.
फरवरी का महीना अजीब है.
Vishal Prajapati
चुनावी खेल
चुनावी खेल
Dhananjay Kumar
"बेशक़ मिले न दमड़ी।
*प्रणय प्रभात*
किलकारी गूंजे जब बच्चे हॅंसते है।
किलकारी गूंजे जब बच्चे हॅंसते है।
सत्य कुमार प्रेमी
खाटू वाले मेरे श्याम भजन अरविंद भारद्वाज
खाटू वाले मेरे श्याम भजन अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज ARVIND BHARDWAJ
कहानी
कहानी
कवि रमेशराज
3173.*पूर्णिका*
3173.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
- मेरी त्रुटीया अपनो को पहचानने में -
- मेरी त्रुटीया अपनो को पहचानने में -
bharat gehlot
सपना है आँखों में मगर नीद कही और है
सपना है आँखों में मगर नीद कही और है
Rituraj shivem verma
संवेदना मनुष्यता की जान है।
संवेदना मनुष्यता की जान है।
Krishna Manshi (Manju Lata Mersa)
मैं सोचता हूँ उनके लिए
मैं सोचता हूँ उनके लिए
gurudeenverma198
"संक्रमण काल"
Khajan Singh Nain
Loading...