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1 May 2024 · 1 min read

3362.⚘ *पूर्णिका* ⚘

3362.⚘ पूर्णिका
🌹 हम खून बहाते हैं🌹
22 22 22
हम खून बहाते हैं ।
दिन रात कमाते हैं ।।
दो वक्त की रोटी खा।
जग रोज सजाते हैं ।।
मस्त बूंद पसीने की ।
खुशियाँ दे जाते हैं ।।
फूलों सा यूं जीवन ।
बगियां महकाते हैं ।।
देख सृष्टिकर्ता खेदू।
हम श्रमिक कहाते हैं ।।
……✍ डॉ .खेदू भारती “सत्येश “
01-05-2024बुधवार

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