दिये जख्म किसने जहाँ क्या कहें
निभा रश्म को भी चले जा रहें,
दिये जख्म किसने जहाँ क्या कहें
शिकायत करे राह तौहीन है
जमीं पर सभी देह शौकीन है
उधारी मिले अब लिये जा रहे
दिये जख्म किसने जहाँ क्या कहें
जगत बंध रिश्ते निभाओ यहाँ
रुठे जो यहाँ पर मनाओ जहाँ
कहें क्या अधर को सिले जा रहे
दिये जख्म किसने जहाँ क्या कहें
मिलाते नयन भी सभी प्यार से
बनाते यहाँ मुर्ख अधिकार से
जताते सदा दिल दिये जा रहे
दिये जख्म किसने जहाँ क्या कहें
मिला जो दिया है गिला क्या करे
फले कर्मफल से जहाँ क्यों डरे
छुपा नीर नैनन चले जा रहे
दिये जख्म किसने जहाँ क्या कहें
____संजय निराला