221 1221 1221 122

221 1221 1221 122
इस दौर के नायक हमी तो कल के रहेंगे
बदलो कहीं खुद या कहो सम्हल के रहेंगे
@
राहों में मिले अज़नबी अनचाहे यहाँ भी
छोड़ें किसे साथी यही दलदल के रहेंगे
@
सुर्ख़ी में मेरा नाम लिख़ा है कभी तुमने
अख़बार यही बात तो चल- चल के रहेंगे
@
यादों से उतर जाना अख़रता ही गया है
रिश्ते कोई क़मजोर क्या छिन- पल के रहेंगे
@
दावे सभी झ़ूठे हैं कहा मानो हमारा
क़लयुग में सभी बोझ़ क्या अक्कल के रहेंगे
@
सुशील यादव दुर्ग (cg)
7000226712