सँवारी है मेरी माँ ने , मेरी तक़दीर मौलाना

आदाब दोस्तों 🌹
दिनांक _ 05/02/2025,,,
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एक शेर पर नज़र पड़ी ____
” बहुत मैने सुनी है , आपकी तक़रीर मौलाना ।”
देखकर मुझे भी ख्याल आया , और एक नज़्म लिख दी मैं ने ।
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नज़्म _ उनवान _ मेरी तक़दीर
कभी सुनती नहीं हूँ, आपकी तक़रीर मौलाना,
सँवारी है मेरी माँ ने , मेरी तक़दीर मौलाना ।
दिया है दीन-दुनिया का, सही से इल्म भी मुझको ,
पढ़ाया और सिखाया शौक़ से ज़ालिम हुनर मुझको ,
किताबें दे के हाथों में , नज़र हम पर गढ़ाती थी ,
पढ़ा क़ुरआन , हिंदी और उर्दू भी पढ़ाती थी ,
मुहब्बत का सबक़ देकर , बनाया हीर मौलाना ,
सँवारी है मेरी माँ ने , मेरी तक़दीर मौलाना ।
अदब छोटों बड़ों का भी, मेरी माँ ने सिखाया था,
सभी का एक मालिक है , यही माँ ने बताया था ,
गयी पढ़ने मैं जब भी स्कूल ,टीचर प्यार करती थी,
सभी बच्चों से माँ जैसा ही , वो व्यवहार करती थी,
बचा रक्खी है बचपन की, सभी तस्वीर मौलाना,
सँवारी है मेरी माँ ने , मेरी तक़दीर मौलाना ।
न बाँटा जातियों में हमको, बस अपना बना रक्खा ,
सभी के काम करना हैं , यही सपना सजा रक्खा ,
करी इज़्ज़त हमेशा , बेटियों का दिल नहीं तोड़ा ,
पिता – माँ ने कभी बच्चों से अपने मुँह नहीं मोड़ा,
थमाई है मुहब्बत की , मुझे शमशीर मौलाना ,
सँवारी है मेरी माँ ने , मेरी तक़दीर मौलाना ।
बुजुर्गों ने किसी दिल में, कभी नफ़रत नहीं बोई ,
बिठाया जिनको अपने पास ,वो आँखें नहीं रोई ।
मिटाए दर्द सबके खूब, अपनी ही दुआओं से ,
हमेशा दे रहा ताक़त , यही सूरज शुआओं से ,
जो अनपढ़ हैं उन्हीं से मिल रही जागीर मौलाना,
सँवारी है मेरी माँ ने , मेरी तक़दीर मौलाना ।
✍️नील रूहानी .. 05/02/2025………
( नीलोफर खान )