चाँद भटका सदी से बहुत रात भर

चाँद भटका सदी से बहुत रात भर
ले जहाँ में हमेशा नयी चांदनी
बंद फाटक किये यूँ न वाकिफ़ रहे
नीत खोये रहे ले अगन रागनी
__संजय निराला
चाँद भटका सदी से बहुत रात भर
ले जहाँ में हमेशा नयी चांदनी
बंद फाटक किये यूँ न वाकिफ़ रहे
नीत खोये रहे ले अगन रागनी
__संजय निराला