sp73हम कठपुतली रंगमंच की
sp73हम कठपुतली रंगमंच की
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यह जीवन का ताना-बाना कुछ पहचाना कुछ अनजाना
हम कठपुतली रंगमंच की आता उसको हमें नचाना
हम समुद्र की लहरों जैसे रहे किनारो से टकराते
कभी भवर का हिस्सा बनते और कभी तूफान उठाते
लेकिन तय है खेल नियति का इक पल आना एक पल जाना
हम कठपुतली रंगमंच की
,
नैनों में हैं स्वप्न सुनहले बना रहे नित महल दुमहले
लेकिन पता नहीं हम में से कौन विदा हो जाए पहले
कितनी सांसे दी हैं उसने उतना पड़ता साथ निभाना
हम कठपुतली रंगमंच की
सुबह से लेकर शाम तलक सब खेल रहे अपनी ही पारी
अगले पल का पता नहीं है कर ली जीवन की तैयारी
इसीलिए मनवा कहता है दुनिया एक मुसाफिर खाना
हम कठपुतली रंगमंच की
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
यह भी गायब वह भी गायब