रूप

तेरे रूप अनेक है,
जब जब देखा,
जब जब सोचा,
जब जब सपने देखा,
वही रंगत हर बार कुछ यू देखी,
में हुवा तब तब माघहोश ,
मिलना तो तुझे कभी कभी हूवा,
पर हर बार तू मुझे अलग अलग दिखी।
तेरे रूप अनेक है,
जब जब देखा,
जब जब सोचा,
जब जब सपने देखा,
वही रंगत हर बार कुछ यू देखी,
में हुवा तब तब माघहोश ,
मिलना तो तुझे कभी कभी हूवा,
पर हर बार तू मुझे अलग अलग दिखी।