Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jan 2025 · 1 min read

मोहब्बत की शम्मा जला दो

मेरी जिंदगी में आकर तुम,
अपने मोहब्बत की शम्मा जला दो एकपल,
रोशन कर दो जीवन मेरा।

राही अकेला जीवन का हूँ,
बिन प्यार के जिंदगी अधूरी ही है,
साथी बन साथ चलो न।

न होगी शम्मा तो फिर,
अंधेरे मे रंग कौन भरेगा जीवन के,
दुनिया फिर कैसे समझे इसको।

बात इतनी सी है बस,
साथ तुम मेरा दे दो मोहब्बत कर,
मिट जाए उदासी जीवन पर्यंत।

रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।

2 Likes · 51 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Buddha Prakash
View all

You may also like these posts

अपूर्ण नींद और किसी भी मादक वस्तु का नशा दोनों ही शरीर को अन
अपूर्ण नींद और किसी भी मादक वस्तु का नशा दोनों ही शरीर को अन
Rj Anand Prajapati
प्रथमा
प्रथमा
Shyam Sundar Subramanian
जिन्दगी सदैव खुली किताब की तरह रखें, जिसमें भावनाएं संवेदनशी
जिन्दगी सदैव खुली किताब की तरह रखें, जिसमें भावनाएं संवेदनशी
Lokesh Sharma
*पास बैठो घड़ी दो घड़ी*
*पास बैठो घड़ी दो घड़ी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
उन्हें जाने देते हैं...
उन्हें जाने देते हैं...
Shekhar Chandra Mitra
हिरनी जैसी जब चले ,
हिरनी जैसी जब चले ,
sushil sarna
कुरुक्षेत्र की अंतिम ललकार भाग-2
कुरुक्षेत्र की अंतिम ललकार भाग-2
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
- अकेला था अकेला ही रहना चाहता हु -
- अकेला था अकेला ही रहना चाहता हु -
bharat gehlot
तमन्ना पाल रखी थी सबको खुश रखने की
तमन्ना पाल रखी थी सबको खुश रखने की
VINOD CHAUHAN
#प्रसंगवश-
#प्रसंगवश-
*प्रणय प्रभात*
दामन जिंदगी का थामे
दामन जिंदगी का थामे
Chitra Bisht
3602.💐 *पूर्णिका* 💐
3602.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सत्यम शिवम सुंदरम
सत्यम शिवम सुंदरम
Madhu Shah
सोचता हूँ..
सोचता हूँ..
Vivek Pandey
डॉ अरुण कुमार शास्त्री -
डॉ अरुण कुमार शास्त्री -
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वो किताब अब भी जिन्दा है।
वो किताब अब भी जिन्दा है।
दुर्गा प्रसाद नाग
"इंसानियत के दुश्मन"
Dr. Kishan tandon kranti
समधि (37)
समधि (37)
Mangu singh
ज़िन्दगी - दीपक नीलपदम्
ज़िन्दगी - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
कैसे हुआ मै तुझसे दूर
कैसे हुआ मै तुझसे दूर
Buddha Prakash
जनाब पद का नहीं किरदार का गुरुर कीजिए,
जनाब पद का नहीं किरदार का गुरुर कीजिए,
शेखर सिंह
"जीवन का कुछ अर्थ गहो"
राकेश चौरसिया
माँ
माँ
Dileep Shrivastava
देखो आई अजब बहार
देखो आई अजब बहार
Baldev Chauhan
कुण हैं आपणौ
कुण हैं आपणौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
आंखों का काजल
आंखों का काजल
Seema gupta,Alwar
प्रेम के नाम पर मर मिटने वालों की बातें सुनकर हंसी आता है, स
प्रेम के नाम पर मर मिटने वालों की बातें सुनकर हंसी आता है, स
पूर्वार्थ
उल्लाला छंद
उल्लाला छंद
n singh
पंख तो मिले थे ,मगर उड़े नहीं,
पंख तो मिले थे ,मगर उड़े नहीं,
ओनिका सेतिया 'अनु '
शुभांगी छंद
शुभांगी छंद
Rambali Mishra
Loading...