मोहब्बत की शम्मा जला दो
मेरी जिंदगी में आकर तुम,
अपने मोहब्बत की शम्मा जला दो एकपल,
रोशन कर दो जीवन मेरा।
राही अकेला जीवन का हूँ,
बिन प्यार के जिंदगी अधूरी ही है,
साथी बन साथ चलो न।
न होगी शम्मा तो फिर,
अंधेरे मे रंग कौन भरेगा जीवन के,
दुनिया फिर कैसे समझे इसको।
बात इतनी सी है बस,
साथ तुम मेरा दे दो मोहब्बत कर,
मिट जाए उदासी जीवन पर्यंत।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।