#मुक्तक-

#मुक्तक-
■
[प्रणय प्रभात]
ख़ुद रहे ना ख़ुदा ही बन पाए,
अब अधरझूल हैं जो बेचारे।
उनको ज़िंदा कहूँ तो किस मुँह से,
मर गए जो घमंड के मारे।।
😊😊😊😊😊😊😊😊😊
-सम्पादक-
न्यूज़&व्यूज (मप्र)
#मुक्तक-
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[प्रणय प्रभात]
ख़ुद रहे ना ख़ुदा ही बन पाए,
अब अधरझूल हैं जो बेचारे।
उनको ज़िंदा कहूँ तो किस मुँह से,
मर गए जो घमंड के मारे।।
😊😊😊😊😊😊😊😊😊
-सम्पादक-
न्यूज़&व्यूज (मप्र)