Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
लक्ष्मी सिंह
173 Followers
Follow
Report this post
9 Dec 2024 · 1 min read
कुछ तो जादू है तुम में
कुछ तो जादू है तुम में
जो अनायास ही
मुझे
अपनी ओर खींच लेता है।
-लक्ष्मी सिंह
Language:
Hindi
Tag:
Quote Writer
,
कोटेशन
Like
Share
1 Like
· 79 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
दर्पणिका
Lakshmi Singh
भव्य भू भारती
Lakshmi Singh
दोहाद्युथी
Lakshmi Singh
You may also like these posts
ज़िंदा होना ही काफी नहीं ,
Dr fauzia Naseem shad
बारिश की मस्ती
Shaily
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
रावण जी होना चाहता हूं / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
रिश्ते निभाने के लिए,
श्याम सांवरा
" समाहित "
Dr. Kishan tandon kranti
*शंका समाधान चाहता है*
Ghanshyam Poddar
हजारो परेशानियों के बाद भी
ruchi sharma
ये जिन्दगी जनाब है,यहाँ बहुत सवालों के जवाब खुद ही मिल जाया
Brandavan Bairagi
मज़दूर
Neelam Sharma
प्रकृति इस कदर खफा हैं इंसान से
Harinarayan Tanha
भूमिका
अनिल मिश्र
गूंगा ज़माना बोल रहा है,
Bindesh kumar jha
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
शून्य ही सत्य
Kanchan verma
..
*प्रणय प्रभात*
स्वतंत्रता भगवती
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
झाग की चादर में लिपटी दम तोड़ती यमुना
Rakshita Bora
कितनी भी दुनियादारी रख
अरशद रसूल बदायूंनी
कंडक्टर सा हो गया, मेरा भी किरदार
RAMESH SHARMA
बिना दूरी तय किये हुए कही दूर आप नहीं पहुंच सकते
Adha Deshwal
**** फागुन के दिन आ गईल ****
Chunnu Lal Gupta
अपनी हद में ही रहो तो बेहतर है मन मेरे
VINOD CHAUHAN
ज़िंदगी का जंग
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पागलपन की हदतक
ललकार भारद्वाज
लोग रिश्ते या शादियों के लिए सेल्फ इंडिपेंडेसी और सेल्फ एक्च
पूर्वार्थ
इस उजले तन को कितने घिस रगड़ के धोते हैं लोग ।
Lakhan Yadav
फिर चाहे ज़िंदो में.. मैं मुर्दा ही सही...!!
Ravi Betulwala
अब ये ना पूछना कि,
शेखर सिंह
Loading...