त्यागो अहं को आनंद मिलेगा, दिव्य ज्ञान का दीप जलेगा,
त्यागो अहं को आनंद मिलेगा, दिव्य ज्ञान का दीप जलेगा,
प्रार्थना सर्वव्यापी परमात्मा, करने से अष्टचक्र खिलेगा।।
पल-पल उसको करो समर्पण, बनता जाएगा र्मिल चित्त दर्पण,
केवल शब्दों का खेल नहीं है यह, साधना से सुनो विवेक पलेगा।।
एक-एक कदम आगे बढ़ना है, जागरण की सीढियां चढना है,
जिसने जितना छोड़ा यहां पर,उतना भ्रम का भवन हिलेगा।।
अपनी प्रार्थना सबको करनी पड़द्येगी, तभी तो माया की फसल उखड़ेगी,
सर्व-अंतर्यामी परमपिता परमेश्वर, गतिवंद फिर भी जीवन चलेगा।।