आजकल धर्म धूर्तों का

आजकल धर्म धूर्तों का
अड्डा बना हुआ है । इस
निर्मल सागर में
एक से बढ़ कर एक
मगरमच्छ पड़े हुए है ।
~प्रेमचंद ( उपन्यास – सेवासदन) से
आजकल धर्म धूर्तों का
अड्डा बना हुआ है । इस
निर्मल सागर में
एक से बढ़ कर एक
मगरमच्छ पड़े हुए है ।
~प्रेमचंद ( उपन्यास – सेवासदन) से