अल्हड़ सा वो लड़का.. ❤️❤️

बच्चों के नाम भी सोच लिए थे न तुमने तो,
ओर उनकी पढ़ाई लिखाई के बारे में भी
जब साथ नहीं ही रहना था तो इतना सब कुछ कैसे सोच लिया तुमने
सवाल अब भी ज्यों का त्यों हैं मेरे..
कम से कम एक बार मेरी राय भी तो जान ली होती.
क्या इतना भी हक नहीं था मेरा
खैर रहने दो..
ओर बताओ क्या चल रहा है आज कल
शादी वादी की के नहीं अभी, जानती हूँ अभी भी तुम्हारे दिल में टीस होगी क्योंकि तुमको उन तीन महीनों में इतना तो जान ही गई थी, ओर तुमने कहा भी था
“*मेरा म्यार नहीं मिलता*
मैं आवारा नहीं फिरता
मुझे सोच खोना
मैं दुबारा नहीं मिलता”
ऐसे ही हो न तुम अभी भी.
पता है मुझे! तुमने माफ तो नहीं किया होगा अब भी
जिद्दी तो तुम हो एक बार कोई दिल से उतर जाए तो फिर उससे बात तो क्या चेहरा भी देखना पसंद नहीं करते तुम हैना
ह्म्म! जानती हूँ मैं तुम्हें
इस करके तुम आज तक याद हो मुझे
पता नहीं तुम याद भी करते हो या नहीं पर मैने कल फिर तुम्हें ख्वाब में देखा
एक लड़का जो जिद्दी सा अल्हड़ सा था उन दिनों
क्या बदल गया है वो.
मोहब्बत जो पागल था
क्या बदल गया है वो
वो जो खुद को मेरी जान कहता था
क्या बदल गया है वो
वो जो मेरी तारीफ में कसीदे कढ़ता था
क्या बदल गया है वो….
शायद…¿
सच में भुला नहीं पाई हूँ तुम्हे…
शिवम् सहज