दिनांक 12/07/2024
दिनांक 12/07/2024
शीर्षक* जल प्रवाह सा मेरा जीवन
कविता –
जल प्रवाह सा मेरा जीवन,
बहता ही रहा, बहता ही रहा।।
टस से मस न हुए कुछ रिश्ते,
मैंने उनके लिए सब कुछ सहा।
अविरल चलता ये जीवन है ,
सुख – दुःख इसमें बहते रहते।।
जीवन प्रवाह होता है शान्त,
धीरे -धीरे हम चलते रहते।।
जीवन की कुछ घटनाओं से,
ये प्रवाह विकराल हो जाता है।।
इसके विकराल रूप से फिर ,
सब कुछ बर्बाद हो जाता है।।
कोशिश ये करूं मेरा जीवन ,
जल प्रवाह बन ही बहता रहे।।
राह में आये जो कोई बाधा,
धीरे -धीरे उनको मिटाता रहे।।
मेरी है बस एक यही आरज़ू ,
जल प्रवाह सी बहती जाऊं।।
थकूं न, रुकूं न, अविरल बहती जाऊं
जल प्रवाह सी बहती जाऊं, बहती जाऊं।।
रानी शशि दिवाकर अमरोहा