#लघुकविता-

#लघुकविता-
■ एक तमाशा : जीवन।।
[प्रणय प्रभात]
एक तमाशा जीवन सारा,
कठपुतली इंसां बेचारा।
कहीं हार के जीता ये ही,
कभी जीत के ये ही हारा।।
रिश्ते-नाते डोर सी बाँधें,
फिरे भटकता मारा-मारा।
जीवन साँसों की बंदिश में,
मन आवारा का आवारा।।
अच्छा होगा सब्र किए जा।
हर मुश्किल में आस सहारा।।
👌👌👌👌
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#निवेदन-
इसे आप लघु-कविता के अलावा हिंदी ग़ज़ल भी मान सकते हैं।
●संपादक न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्य-प्रदेश)