बेशुमार सपने हैं

बेशुमार सपने हैं
खट्टी मीठी यादें हैं,
तुम हो,तुम्हारी बातें हैं,
यूँ तो कभी
चाहा ही नही तुमको भूलना,
मगर मजबूरी है
बावज़ूद दूरी के
इन हवाओं में तुम्हें
बेपनाह महसूस करता हूँ
तुम्हें, तुम्हारी खुश्बू ,
तुम्हारी आवाज़, तुम्हारा एहसास,
और भी बहुत कुछ..!!!
हिमांशु Kulshrestha