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20 Feb 2025 · 1 min read

जिसमें सिमट जाती है दुनिया ही हमारी

जिसमें सिमट जाती है दुनिया ही हमारी
आंखों के वही ख़्वाब हक़ीक़त नहीं होते
डॉ फ़ौज़िया नसीम शाद

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