नींद
बिस्तर नहीं, आँखों में नींद होनी चाहिए,
दूर या पास, कोई अपना होना चाहिए,
ज़िंदगी तो चलती रहेगी यूँ ही,
पर हर मोड़ पर अपनापन होना चाहिए।
अब ख्वाब में टटोलता कोई अपना,
छाया में खोजता, अपना ही साया,
सन्नाटे में भी आवाज़ कौन किसकी सुनाई ,
अपनी ही धड़कन जोर जोर से दस्तक दे।
तन्हाई में हर लहर कुछ और लगे,
सागर की हलचल अब शोर लगे,
दूर आसमान में कोई सितारा बुलाए,
पर धरती के सन्नाटे दिल को घबराए।
एक दीया जलाकर रोशनी को थाम लें,
हर दर्द को शब्दों में बयान कर नाम दें,
मुसाफिर हैं हम, राहें हैं अनजानी,
फिर भी दिल को चाहिए ,कोई कहानी।