Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jan 2025 · 4 min read

पश्चाताप – ( किशोर कहानी )

पश्चाताप – ( किशोर कहानी)

निर्धन परिवार में जन्मा सौरभ बचपन से ही बहुत संस्कारी था | पिता रोज़ मजदूरी करने जाते और परिवार के पालन – पोषण का प्रयास करते थे | सौरभ की माँ , पड़ोस के बड़े लोगों के घर जाकर साफ़ – सफाई और बर्तन मांजने का काम करती थी | किसी तरह से परिवार का खर्च चल रहा था |
सौरभ और उसकी बहन इस बात को भली – भांति जानते थे कि उनके माता – पिता किस तरह से मेहनत कर उनकी पढ़ाई पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं | सौरभ के माता – पिता ने बच्चों की पढ़ाई जारी रखने और जीवन में अनुशासन में रहने को हमेशा प्रेरित किया | बच्चे भी अपने माता – पिता की बात को ध्यान से सुनते थे और उनकी बातों पर अमल करते थे | घर में सुख – संसाधनों की कमी से बच्चे परिचित थे | और जानते थे कि आगे चलकर वे अपने माता – पिता के सपनों को अवश्य पूरा करेंगे |
सौरभ अब नवमी कक्षा में पहुँच गया था और बहन कक्षा सातवी में | चूंकि गाँव का स्कूल कक्षा आठवीं तक था इसलिए आगे की पढ़ाई के लिए अब सौरभ को गाँव से दूर तहसील के स्कूल जाना पड़ता था | सरकारी साइकिल ने उसकी इस काम में मदद की | तहसील के बच्चे गाँव के बच्चों से कुछ आगे ही थे | न कि पढ़ाई में अपितु शरारत में भी | कक्षा का वातावरण गाँव के स्कूल से पूरी तरह से भिन्न था | बच्चे पढाई से ज्यादा खेलकूद और शरारतों में रूचि लेते थे | यह बात सौरभ को खटकती थी | सौरभ की पढ़ाई पर इन बातों का असर होने लगा |
इसी बीच कक्षा के ही मनोज से सौरभ की दोस्ती हो गयी | सौरभ, मनोज को एक अच्छा लड़का समझता था | दोनों साथ पढ़ते और समय बिताते थे | मनोज की उसकी कक्षा के दूसरे लड़के सपन से गहरी मित्रता थी | किन्तु सौरभ को सपन के बारे में ज्यादा पता नहीं था | एक दिन सपन ने मनोज और सौरभ को पिक्चर देखने को कहा | पर मनोज और सौरभ ने पढ़ाई छोड़ स्कूल से पिक्चर देखने जाने से मना किया | और कहा कि एक दिन की पढ़ाई का नुक्सान होगा | और साथ ही यह बात घर वालों को पता चलेगी तो क्या होगा और न ही हमारे पास पैसे हैं | किन्तु सपन ने उन्हें विश्वास दिलाया कि एक दिन की पढ़ाई छोड़ने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता और हमारे अलावा कोई नहीं जानता कि हम पिक्चर देखने जा रहे हैं फिर घर वालों को तो जानकारी होने का सवाल ही नहीं | और पैसों कि चिंता तुम मत करो आज मैं खर्च कर लूँगा |
स्कूल से पढ़ाई छोड़ पिक्चर देख तीनों दोस्त काफी खुश थे | घर पर किसी को पता भी नहीं हुआ | धीरे – धीरे उनका हौसला बढ़ने लगा | पैसे भी तो चाहिए थे पिक्चर देखने के लिए | सौरभ घर के संदूक से आये दिन थोड़े – थोड़े पैसे चुराने लगा और पिक्चर देखने का क्रम जारी रहा | एक दिन सौरभ की माँ ने सौरभ के पिता से कहा – मुझे लगता है घर का खर्च बढ़ गया है | महीने की आय पूरी नहीं पड़ रही है | पैसे जल्द खर्च हो जाते हैं | सौरभ के पिता ने सौरभ की माँ से पैसे संभालकर रखने और खर्च करने को कहा | बात आई गयी हो गयी |
एक दिन सौरभ की माँ ने सौरभ के पिता से सौरभ की पढ़ाई की जानकारी लेने के स्कूल जाने को कहा | सौरभ के पिता स्कूल गए और पाया कि सौरभ आज स्कूल आया ही नहीं | पता चला कि सपन और मनोज भी स्कूल नहीं आये | और यह भी पता चला कि वहा आये दिन स्कूल से गायब रहता है | किसी बच्चे ने बताया कि मैंने एक दिन उन्हें स्कूल से पढ़ाई छोड़कर पिक्चर देखने की बात सुनी थी | फिर क्या था सौरभ के पिता सच जानने के लिए पिक्चर हॉल गए और पिक्चर हॉल में पीछे बैठकर बच्चों को पिक्चर देखते देख लिया किन्तु पिक्चर हॉल में उनसे कुछ नहीं कहा और न ही यह बात उन्होंने सौरभ की माँ से बताई |
एक दिन सुबह – सुबह अचानक सौरभ के पिता ने सौरभ को संदूक से पैसे निकालते देख लिया फिर क्या था सौरभ को “काटो तो खून नहीं “ वाली स्थिति में देख सौरभ के पिता ने उससे पैसे निकालने का कारण पूछा तो सौरभ ने फीस भरने का बहाना बना दिया | उसी दिन सौरभ के पिता स्कूल गए तो पता चला कि सौरभ व उसके दोस्त सपन और मनोज भी स्कूल नहीं आये | सौरभ के पिता ने सोचा कि तीनों को रंगे हाथों पकड़ा जाए | तीनों पिक्चर हॉल में आगे वाली सीट पर बैठकर पिक्चर देख रहे थे | सौरभ को पता ही नहीं था उसके पिता स्कूल गए थे | शाम को सौरभ के पिता ने सौरभ से अचानक प्रश्न किया कि बेटा आज की पिक्चर कैसी लगी ? सौरभ के पैरों तले ज़मीं खिसक गयी | वह अपने पिता के पैरों पर गिरकर माफ़ी मांगने लगा | उसके पिता ने उसे बताया कि वह उसे पहले भी पिक्चर हॉल में पिक्चर देखते हुए देख चुके हैं | और घर के संदूक से बार – बार पैसों का काम होना इस बात का संकेत था कि सौरभ किसी गलत रास्ते पर चला गया है | सौरभ ने अपने माता – पिता से अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगी और भविष्य में ऐसा न करने की शपथ ली | उसके पश्चाताप के आंसू बता रहे थे कि वह अपनी गलती पर शर्मिन्दा था |
उसे अपनी भूल का आभास हो चुका था | अब उसने सपन और मनोज का साथ छोड़ दिया और पढ़ाई में खूब मन लगाया | वह पूरे जिले प्रथम स्थान आया और अपने माता – पिता का नाम रोशन किया |

बच्चों से गुजारिश है कि किसी भी बच्चे के गलत काम में उसका साथ न दें और यदि कोई परेशानी आती है तो अपने माता – पिता को इस बारे में अवश्य बताएं |

अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

1 Like · 9 Views
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all

You may also like these posts

तेरे प्यार के राहों के पथ में
तेरे प्यार के राहों के पथ में
singh kunwar sarvendra vikram
3821.💐 *पूर्णिका* 💐
3821.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दोहा पंचक. . . . .  उल्फत
दोहा पंचक. . . . . उल्फत
sushil sarna
बाण माताजी के दोहे
बाण माताजी के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
तुम्हारी हाँ है या ना ?
तुम्हारी हाँ है या ना ?
Dr. Rajeev Jain
Enchanting Bond
Enchanting Bond
Vedha Singh
जनता का पैसा खा रहा मंहगाई
जनता का पैसा खा रहा मंहगाई
नेताम आर सी
तुम मुझे मेरा गिफ़्ट ये देना
तुम मुझे मेरा गिफ़्ट ये देना
MEENU SHARMA
है हार तुम्ही से जीत मेरी,
है हार तुम्ही से जीत मेरी,
कृष्णकांत गुर्जर
खुदा याद आया ...
खुदा याद आया ...
ओनिका सेतिया 'अनु '
कल जब होंगे दूर होकर विदा
कल जब होंगे दूर होकर विदा
gurudeenverma198
Jeevan Ka saar
Jeevan Ka saar
Tushar Jagawat
क्या बुरा है जिन्दगी में,चल तो रही हैं ।
क्या बुरा है जिन्दगी में,चल तो रही हैं ।
Ashwini sharma
डमरू घनाक्षरी
डमरू घनाक्षरी
Rambali Mishra
"चारों तरफ अश्लीलता फैली हुई है ll
पूर्वार्थ
"सच्चाई"
Dr. Kishan tandon kranti
राजनीति में शुचिता के, अटल एक पैगाम थे।
राजनीति में शुचिता के, अटल एक पैगाम थे।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
प्रकृति संरक्षण (मनहरण घनाक्षरी)
प्रकृति संरक्षण (मनहरण घनाक्षरी)
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
दोहा पंचक. . . विविध
दोहा पंचक. . . विविध
Sushil Sarna
मिलती है जब ख़ुशी तुझे, मिलता मुझे भी खुशियाॅं अपार।
मिलती है जब ख़ुशी तुझे, मिलता मुझे भी खुशियाॅं अपार।
Ajit Kumar "Karn"
एक  दूजे के जब  हम नहीं हो सके
एक दूजे के जब हम नहीं हो सके
Dr Archana Gupta
सबके दिल में छाजाओगी तुम
सबके दिल में छाजाओगी तुम
Aasukavi-K.P.S. Chouhan"guru"Aarju"Sabras Kavi
बोलती आंखें🙏
बोलती आंखें🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
नव वर्ष हमारे आए हैं
नव वर्ष हमारे आए हैं
Er.Navaneet R Shandily
शुभ धनतेरस
शुभ धनतेरस
Sonam Puneet Dubey
अकेले
अकेले
Dr.Pratibha Prakash
सियासत में आकर।
सियासत में आकर।
Taj Mohammad
श्री राम
श्री राम
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
सूखते ही ख़्याल की डाली ,
सूखते ही ख़्याल की डाली ,
Dr fauzia Naseem shad
सब चाहतें हैं तुम्हे...
सब चाहतें हैं तुम्हे...
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Loading...