*दुविधाओं*
दुविधाओं से जगत भरा है
जीवन जीना, मत पीछे हटना ।
हर कदम पर मुसीबत खड़ी हैं
छोटी नहीं, बड़ी-बड़ी हैं
श्वासें तुम्हारी उखड़ी-उखड़ी हैं
पड़ेगा तुम्हें साहस से डटना ।। दुविधाओं से…..
जग वालों का यही है जीना
करें, बुरे समय पर छलनी सीना
अहित करने में ही बहाएं पसीना
पलायन सीखा, सीखा नहीं कटना ।। दुविधाओं से…..
दुःख देने में लेते हैं रस
उन हेतु हैं जीवन यही बस
क्रोध भरा है हर नस-नस
बांटना सीखा, टुकड़ों में बंटना ।। दुविधाओं से…..
अन्यों की पीड़ा में, सुख मिलता है
विनाशलीला में, फूल खिलता है
दे दुःख अन्यों को, खुद पिलता है
जीवन स्वर्गिक, बस खटपट ना ।। दुविधाओं से…..
बना रहता है स्वार्थ में अंधा
वासनाओं से रहता है बंधा
कर्म निकृष्ट, उसका हो धंधा
समाज-तोड़क करे दुर्घटना ।। दुविधाओं से…..
हुआ इनका मैं सदा शिकार
हर किसी ने मुझे दिया नकार
दें मुझे ताने, जो भरे विकार
मेरे विरोध में, तुरंत हो जाएं जुटना ।। दुविधाओं से…
-*आचार्य शीलक राम*