जो भूल गये हैं
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
ताकि अपना नाम यहाँ, कल भी रहे
ऐ भगतसिंह तुम जिंदा हो हर एक के लहु में
जादुई गज़लों का असर पड़ा है तेरी हसीं निगाहों पर,
राजनीति में शुचिता के, अटल एक पैगाम थे
जब कोई व्यक्ति विजेता बनने से एक प्वाइंट या एक अंक ही महज दू
हर एक से छूटा है राहों में अक्सर.......
चाह थी आप से प्रेम मिलता रहे, पर यहांँ जो मिला वह अलौकिक रहा
आपके साथ आपका रिश्ता आपके हर दूसरे रिश्ते के लिए सुर व ताल स
यूं ही हमारी दोस्ती का सिलसिला रहे।
The magic of your eyes, the downpour of your laughter,
टूटे उम्मीद तो शिकायत कैसी