जनता का पैसा खा रहा मंहगाई
कैसे कैसे चेहरे बनाने लगे हैं,
देखते आ रहे दृश्य ये सर्वदा,
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
तुम ही रहते सदा ख्यालों में
नज़्म _मिट्टी और मार्बल का फर्क ।
उसके दिल में आया तो दिन में रात कर देगा
पल दो पल की शोहरतें भी तमाशे जैसी है,
रंजीत कुमार शुक्ला - हाजीपुर
सम्मानार्थ प्रविष्ठियां आमंत्रित हैं
“दर्द से दिल्लगी”
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
.. पहले एक कमाता था नौ खाते थे