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14 Jun 2024 · 1 min read

पल दो पल की शोहरतें भी तमाशे जैसी है,

पल दो पल की शोहरतें भी तमाशे जैसी है,
बस होश नहीं रहता है कि बलंदी छू ली है

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

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