#मानस_की_सीख-
#मानस_की_सीख-
■ लघु बनने में लाभ
[प्रणय प्रभात]
“नहीं है होड़ में कुछ भी, नहीं कुछ भी दिखावे में,
जो अंधी दौड़ में शामिल वही आख़िर में रोता है।
अगर सुरसा सरीखी लालसा मुंह को बढ़ाए तो,
स्वयं को लघु बना लेना समय की मांग होता है।।”
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#मन्तव्य-
वैभव और विलासिता की अंधी दौड़ का अंत अच्छा नहीं होता। इच्छा व अपेक्षा का बढ़ता आकार कष्ट का कारण होता है। इस पर विजय पाने की आसान युक्ति श्री रामचरित मानस के सुंदर-कांड में श्री हनुमान जी बता चुके हैं। मुख को विराट बनाती नागमाता सुरसा के समक्ष स्वयं को सूक्ष्म बना कर।।
●संपादक न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्य-प्रदेश)