नाम की तख्तियां लगी थी घरों के आगे ।
नाम की तख्तियां लगी थी घरों के आगे ।
घरों के अंदर गए तो कोई इंसान नहीं मिला ।।
पूरा घर सजा था महकती महंगी कीमती चीजों से।
लेकिन अंदर अपनेपन का भाव नहीं मिला।।
नाम की तख्तियां लगी थी घरों के आगे ।
घरों के अंदर गए तो कोई इंसान नहीं मिला ।।
पूरा घर सजा था महकती महंगी कीमती चीजों से।
लेकिन अंदर अपनेपन का भाव नहीं मिला।।