पहाड़ी खाणू-धूम मचाणू!
पहाड़ी खाणू-धूम मचाणू,
कोदू झंगोरु,गहत की दाल,
पिंडालु की भूजी म आदा की फांक,
मोटा माडा सबकी या आड,
ये यी खाणा की थी तकम ताड!
दिन फिरया त,रुपया पडा पल्या,
कोदू झंगोरु ,रेगी,कुठारियों का थल्ला,
धान और गेहूं की रेलम पेला!
नई छवालि का नौनि नौना,
अब बणिग्या येयि पौणि पौणा,
सरसरो भात और नरम सा फुल्का,
खैक बण्या था ये सब उल्का!
योन नि जाणि अपणू मोटू नाज,
ये कि खूबि और सेहत कू राज,
बिमारियोंन जब पकडियाला,
रोगून तब जकडियाल्या,
दवाईयों कू जब असर नि होई,
कमजोरियोंन जब तोड देइयि,
तब दाना सयाणोंन,यू बताई,
मोटा नाज कि खूबि जताई!
अब लोग ढूंढना छा,कोदू गंगोंरु,
गहत कि दाल अर आदा कू फंकेडू,
पिडालू भूजी, अर पालक कू साग,
झंगोरा की खिर अर कोदा कू बाडी,
कद्दू कू रैलू अर गहतु कू फाणु,,
सुंटों का पकोडा,अर चौंलू का अरसा,
जौ कू सत्तू अर तलडू का गुटका,
कफलाणि,अमवाणि,
आलू कू थेचवाणि,
अर चौंलू कू चौलाणि,
छाछ अर मठ्ठा कू बण्यु पल्लर,
भांति भांति का पकवान अर,
रीतिरिवाज़ों कू यू कल्चर,
औन्दू जांन्दू यूंतैं मागणु,
पहाड़ी खाणू-धूम मचाणू!!