🥀 *अज्ञानी की✍*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: ओं स्वर रदीफ़ - में
परित्यक्त अपने को सक्षम करें।
वो सिलसिले ,वो शोक, वो निस्बत नहीं रहे
पराठों का स्वर्णिम इतिहास
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बस पल रहे है, परवरिश कहाँ है?
" बोलती आँखें सदा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
बहुत दूर जा चुके बिछड़कर, कभी नहीं फिर आने को।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मैं झुका नहीं मैं गिरा नहीं
* घर में खाना घर के भीतर,रहना अच्छा लगता है 【हिंदी गजल/ गीत
ख्वाहिशों के बोझ मे, उम्मीदें भी हर-सम्त हलाल है;