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21 Dec 2024 · 1 min read

अंदाज़े बयाँ

अंदाज़े बयाँ

लब पर उनके अजब मुस्कान थी
जीने – मरने का वह , अजब सामान थी |

हम सोच बैठे उसे , मुहब्बत का खेल
वह तो हमारे कफ़न का सामान थी ||

अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

1 Like · 85 Views
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