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19 Dec 2024 · 1 min read

*शुभ-रात्रि*

#मुक्तक-
■ त्याग ज़रूरी….
[प्रणय प्रभात]
तप, संयम का राग ज़रूरी
हो जाता है।
बिना रंग का फाग ज़रूरी
हो जाता है।।
अगर मोक्ष के सिंहासन की हो अभिलाषा।
सुविधाओं का त्याग ज़रूरी
हो जाता है।।
जय राम जी की। शुभ-रात्रि।।

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